सनातन बोर्ड एक ऐसी संस्था है जो भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना को संगठित करने के लिए स्थापित की गई है। यह बोर्ड सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक केंद्रीय मंच की आवश्यकता के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ, क्योंकि अब तक मंदिरों, वेद-पाठशालाओं, गुरुकुलों, तीर्थ व्यवस्थाओं, धर्माचार्यों और सनातन परंपराओं को संरक्षित करने के लिए कोई संगठित और वैधानिक संरचना नहीं थी। यह केवल धार्मिक आस्था की रक्षा का नहीं, बल्कि एक मूल्य-आधारित राष्ट्रनिर्माण का प्रारंभिक केंद्र बन सकता है।
सनातन बोर्ड के बनने से सनातनियों को पहला लाभ यह है कि उन्हें एक ऐसी संस्था का साथ मिलेगा जो उनकी धार्मिक स्वतंत्रता, परंपराओं और पूजा-पद्धतियों का प्रतिनिधित्व करेगी। अब मंदिरों का प्रबंधन धर्माचार्यों और भक्तों के हाथों में जा सकता है। सनातन शिक्षा प्रणाली को बल मिलेगा — गुरुकुलों, वेदाध्ययन केंद्रों, संस्कृत पाठशालाओं को पुनर्जीवन मिलेगा। धर्मांतरण, अपमान, झूठे आरोपों से पीड़ित सनातनियों को विधिक सहायता और संगठनात्मक समर्थन प्राप्त होगा।
सनातन हिंदुओं को इससे दीर्घकालिक लाभ मिलेगा जैसे — सनातन संस्कृति के अनुरूप शिक्षा, धार्मिक पहचान के संरक्षण, धार्मिक रोजगार जैसे पुरोहित, वेदज्ञ, शिल्पी, नर्तक, आयुर्वेदाचार्य आदि को मान्यता व आजीविका, महिलाओं के लिए धर्मसंस्कृति पर आधारित प्रशिक्षण, परिवार व्यवस्था को पुनःसंयमित और सुदृढ़ बनाने की दिशा में पहल, और जीवन के प्रत्येक संस्कार को गरिमा व विज्ञानसम्मत विधि से पुनर्स्थापित करने की व्यवस्था। धर्मनिष्ठ युवाओं को संगठनात्मक रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे समाज को दिशा दे सकें।
देश के विकास में सनातन बोर्ड की भूमिका अत्यंत गहरी हो सकती है। यह संस्था देश में नैतिक शिक्षा, संयमित जीवन, सामाजिक संतुलन और सहिष्णुता को बढ़ावा देकर प्रशासनिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संस्थाओं को एक धर्मबुद्धि से संपन्न समाज में परिवर्तित कर सकती है। ग्रामीण भारत में आध्यात्मिक पुनरुत्थान होगा – प्रत्येक गाँव में मंदिर केंद्र, संस्कार केंद्र, गौशाला, और स्वदेशी उत्पादन केंद्र बनने की योजना हो सकती है। धार्मिक पर्यटन, आध्यात्मिक मेलों, तीर्थ यात्राओं और हेरिटेज ईकोनॉमी के माध्यम से करोड़ों लोगों को रोज़गार के अवसर मिल सकते हैं। आयुर्वेद, गौ-संवर्धन, हस्तकला, पूजा सामग्री, वैदिक वास्तु आदि क्षेत्र में नवउद्योग खड़े किए जा सकते हैं।
भारतीय संस्कृति को यह बोर्ड एक स्थायी आधार देगा। वेद, उपनिषद, पुराण, लोक परंपराएँ, शास्त्रीय संगीत, नाट्य, लोकनृत्य, संस्कृत भाषा, छंद, भारतीय तिथियाँ, त्यौहार, गायन–नृत्य–नाटक, सब कुछ पुनः जनमानस में जीवित किया जा सकेगा। यह संस्था विभाजन और बहिष्कार की नहीं, समन्वय और उत्थान की भावना से कार्य करेगी। इसका उद्देश्य केवल धार्मिक रक्षा नहीं, बल्कि धर्म के माध्यम से व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र की समग्र उन्नति है।
सनातन बोर्ड वह छाया बन सकता है जिसके नीचे भारत अपनी सनातन आत्मा को पुनः पहचान सके और उसी के आलोक में आधुनिकता का मार्ग खोज सके — न तो अंधानुकरण, न ही जड़ परंपरावाद, बल्कि जड़ें गहरी रखकर आकाश की ओर बढ़ने वाली सनातनी चेतना।