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सनातन बोर्ड

महत्वपूर्ण बिंदु

अपडेट: 16 Jul, 2025

सनातन दिवस – अनंत चतुर्दशी पर मनाने का निर्णय

तिथि: अनंत चतुर्दशी (भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी)

प्रस्ताव: सनातन धर्म की एकता, शाश्वतता (अनंतता), और आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक के रूप में "सनातन दिवस" अनंत चतुर्दशी को मनाया जाएगा।

137. अनंत चतुर्दशी को "सनातन दिवस" मनाने का कारण

(A) अनंत (सनातन) का प्रतीक

"अनंत" शब्द का अर्थ होता है – जो कभी समाप्त न हो, जो शाश्वत हो।

सनातन धर्म भी "अनंत" है – यह न कभी शुरू हुआ, न कभी समाप्त होगा।

अनंत चतुर्दशी के दिन "अनंत सूत्र" (धागा) बांधकर भगवान विष्णु से रक्षा एवं दीर्घायु का आशीर्वाद लिया जाता है।

(B) भगवान विष्णु से संबंध

अनंत चतुर्दशी भगवान अनंत नारायण (भगवान विष्णु) का पर्व है, जो सनातन धर्म के पालनहार हैं।

भगवान विष्णु सनातन धर्म की रक्षा एवं संतुलन बनाए रखने वाले देवता हैं।

यह दिन धर्म, कर्म, भक्ति, और शाश्वत सत्य के प्रतीक के रूप में सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को प्रकट करता है।

(C) गणेश विसर्जन एवं सनातन संस्कृति का संदेश

इस दिन गणपति विसर्जन भी होता है, जो "नश्वरता" और "सनातन पुनर्जन्म" का प्रतीक है।

भगवान गणेश बुद्धि, विवेक और सनातन धर्म की ज्ञान परंपरा के प्रतीक हैं।

गणपति विसर्जन यह भी सिखाता है कि हम भौतिकता से ऊपर उठकर सनातन धर्म की आध्यात्मिक शक्ति को अपनाएं।

(D) आध्यात्मिक, सामाजिक और धार्मिक एकता का पर्व

यह दिन भारत के हर कोने में मनाया जाता है, जिससे हर सनातनी को जोड़ना आसान होगा।

इस दिन हिंदू समाज बड़े स्तर पर एक साथ आता है, जिससे सनातन धर्म की एकता को बढ़ावा मिलेगा।

138. "सनातन दिवस" मनाने के नियम एवं प्रक्रिया

(A) आधिकारिक मान्यता एवं प्रचार-प्रसार

139. "सनातन बोर्ड" एवं धार्मिक संगठनों द्वारा इसे वार्षिक उत्सव घोषित किया जाएगा।

140. सरकार से इसे आधिकारिक रूप से "सनातन धर्म का राष्ट्रीय पर्व" घोषित करवाने का प्रयास किया जाएगा।

141. संतों, मठों, मंदिरों, और अखाड़ों को इस पर्व को व्यापक रूप से मनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

(B) समारोह एवं धार्मिक आयोजन

142. प्रत्येक मंदिर में "अनंत सूत्र" का पूजन एवं वितरण किया जाएगा।

143. भगवान विष्णु एवं भगवान गणेश की विशेष आराधना होगी।

144. सनातन धर्म से जुड़े सभी गुरुकुल, संत, पुजारी, और धर्माचार्य मिलकर "सनातन धर्म की एकता" पर प्रवचन देंगे।

145. श्रीभगवद्गीता, वेदों एवं उपनिषदों का सामूहिक पाठ होगा।

146. गौशालाओं, आश्रमों और वेद विद्यालयों को सहयोग दिया जाएगा।

(C) सामाजिक एवं सांस्कृतिक आयोजन

147. हर साल "सनातन धर्म के योगदान" पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी (Conference) आयोजित होगी।

148. सनातन धर्म की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए "संस्कृत, वेद, और उपनिषद पाठशालाओं" का उद्घाटन किया जाएगा।

149. युवाओं के लिए "सनातन धर्म जागरूकता अभियान" चलाया जाएगा।

150. इस दिन सभी सनातनी परिवार अपने घरों में "सनातन ध्वज" फहराएंगे।

(D) आर्थिक एवं धार्मिक सहयोग

151. मंदिरों, गुरुकुलों और पुजारियों को सहयोग देने हेतु "सनातन अनुदान कोष" की स्थापना की जाएगी।

152. हर सनातनी से अपील की जाएगी कि वे इस दिन "सनातन धर्म के उत्थान" के लिए एक दान राशि दें।

153. प्रत्येक सदस्य को "सनातन बोर्ड" से जोड़कर धर्म रक्षा में उसकी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

154. "सनातन दिवस" के माध्यम से सनातन धर्म को संगठित करने का लक्ष्य

हर सनातनी इस पर्व को अपनी धार्मिक पहचान के रूप में अपनाएगा।

"सनातन दिवस" सनातन धर्म की जड़ों को मजबूत करने का माध्यम बनेगा।

मंदिर, सनातन बोर्ड, और धार्मिक संगठन एकजुट होकर सनातन संस्कृति के संवर्धन में कार्य करेंगे।

विदेशों में बसे हिंदुओं को भी इस दिन से जोड़ा जाएगा, जिससे वैश्विक सनातन एकता स्थापित होगी।

155. सर्वोच्च निर्णयकर्ता एवं संरक्षक मंडल (Supreme Decision Makers & Advisory Board)

(A) मुख्य संरक्षक मंडल (Supreme Advisory Board) – सर्वमान्य एवं अंतिम निर्णयकर्ता

156. चारों शंकराचार्य (श्रृंगेरी, द्वारका, पुरी, ज्योतिर्मठ) और अन्य सनातन धर्म के प्रमुख संत मुख्य संरक्षक होंगे।

157. यह मंडल किसी भी धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक या संरचनात्मक विवाद में अंतिम एवं सर्वोच्च निर्णय लेने का अधिकार रखेगा।

158. सनातन बोर्ड की नीतिगत संरचना, अचल संपत्तियों की खरीद-बिक्री, महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय एवं संवेदनशील विषयों पर इनकी स्वीकृति अनिवार्य होगी।

159. किसी भी नए सदस्य या उच्च पदाधिकारी की नियुक्ति इनकी अनुमति से होगी।

(B) संस्थापक अध्यक्ष (Founder President) – संरक्षक मंडल के समतुल्य अधिकारधारी

160. संस्थापक अध्यक्ष, मुख्य संरक्षक मंडल के समकक्ष रहकर सनातन बोर्ड की नीतियों के क्रियान्वयन एवं संपत्ति प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

161. अध्यक्ष का कार्यकाल आजीवन होगा, जब तक वे स्वयं त्यागपत्र न दें या संरक्षक मंडल के निर्देशानुसार न हटाए जाएं।

162. कार्यालयों की स्थापना, वित्तीय अनुशासन, प्रशासनिक सुधार, संपत्तियों के प्रबंधन, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विस्तार आदि मामलों में अंतिम निर्णय का अधिकार रहेगा।

163. संस्थापक अध्यक्ष को यह अधिकार होगा कि वे विशेष परिस्थितियों में कार्यकारी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हों, बशर्ते कि वह सनातन धर्म एवं सनातन बोर्ड के उद्देश्यों के अनुरूप हों।

(C) विशिष्ट संरक्षक मंडल (Special Advisory Board) – मार्गदर्शक एवं संरक्षक

164. महामंडलेश्वर, प्रमुख मठाधीश, अखाड़ों के प्रमुख, ज्योतिषपीठ के विद्वान, वरिष्ठ संत-महात्मा इस मंडल में शामिल होंगे।

165. इनका कार्य नीति-निर्धारण में मार्गदर्शन देना एवं सनातन बोर्ड की गतिविधियों का आध्यात्मिक निरीक्षण करना होगा।

166. किसी भी विवादास्पद मुद्दे पर यह मंडल मुख्य संरक्षक मंडल और संस्थापक अध्यक्ष को सुझाव दे सकता है, लेकिन अंतिम निर्णय इन्हीं का होगा।

167. प्रशासनिक अधिकार एवं स्वरूप (Administrative & Executive Authority)

(A) राष्ट्रीय संचालन समिति (National Executive Committee) – नीति निर्माण एवं क्रियान्वयन

168. संस्थापक अध्यक्ष इस समिति के अध्यक्ष होंगे।

169. 25-50 सदस्यीय समिति होगी, जिसमें धर्मगुरु, शिक्षाविद, समाजसेवी, वैज्ञानिक, सनातन संस्कृति के जानकार लोग शामिल होंगे।

170. सनातन बोर्ड की संपत्तियों, वित्तीय अनुशासन, धार्मिक-सामाजिक कार्यों की देखरेख और प्रबंधन इस समिति के जिम्मे रहेगा।

171. अधिकार:

10 लाख रुपये तक के बजट प्रस्तावों को संस्थापक अध्यक्ष की स्वीकृति से लागू किया जा सकता है।

छोटे स्तर के प्रोजेक्ट्स और कार्यक्रमों को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा सकता है।

(B) राज्य संचालन समिति (State Executive Committee) – राज्य स्तर पर क्रियान्वयन

172. प्रत्येक राज्य में 15-25 सदस्यीय समिति होगी।

173. यह समिति राज्य स्तर पर सनातन बोर्ड की गतिविधियों को संचालित करेगी।

174. अधिकार:

5 लाख रुपये तक के बजट प्रस्तावों को स्वीकृत कर सकती है।

जिला समितियों की देखरेख एवं निरीक्षण कर सकती है।

(C) जिला संचालन समिति (District Executive Committee) – स्थानीय प्रशासन एवं प्रबंध

175. प्रत्येक जिले में 10-15 सदस्यीय समिति होगी।

176. यह समिति जिले में सनातन बोर्ड की गतिविधियों, मंदिरों, गुरुकुलों, आश्रमों आदि का प्रबंधन करेगी।

177. अधिकार:

2 लाख रुपये तक के बजट को स्वीकृत कर सकते हैं।

जिला स्तर पर गुरुकुल, मंदिर एवं सामाजिक सेवा से संबंधित कार्य कर सकते हैं।

178. संपत्तियों का अधिकार एवं प्रबंधन (Property Rights & Management)

(A) संपत्तियों पर अधिकार (Ownership & Control over Assets)

179. सनातन बोर्ड की संपत्तियों पर संस्थापक अध्यक्ष एवं मुख्य संरक्षक मंडल का संयुक्त अधिकार होगा।

180. संस्थापक अध्यक्ष का अधिकार यह सुनिश्चित करेगा कि सनातन बोर्ड की संपत्तियाँ सुचारु रूप से प्रबंधित हों एवं उनका व्यावसायिक उपयोग न हो।

181. संपत्ति की खरीद, बिक्री या दान देने से पहले संस्थापक अध्यक्ष एवं संरक्षक मंडल की संयुक्त अनुमति आवश्यक होगी।

(B) संपत्ति प्रबंधन का नियम (Property Administration Rules)

182. संपत्तियों की खरीद की आवश्यकताओं के अनुसार संपत्ति खरीदी जाएगी।

कोई भी नई संपत्ति खरीदने के लिए न्यासी मंडल की स्वीकृति अनिवार्य होगी।

संपत्ति का स्वामित्व व्यक्तिगत न होकर के नाम पर होगा।

183. संपत्तियों की बिक्री मुख्य संरक्षक मंडल एवं संस्थापक अध्यक्ष की अनुमति अनिवार्य होगी।

संपत्तियों को केवल आपातकालीन स्थिति में बेचा जा सकता है।

बिक्री से प्राप्त धनराशि के धार्मिक, सामाजिक एवं कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए उपयोग होगी।

184. लीज (Lease) एवं किराये पर देना अपनी संपत्तियों को लीज पर दे सकता है, बशर्ते कि उसका उपयोग धार्मिक, शैक्षिक या समाजसेवी कार्यों के लिए किया जाए।

किसी व्यावसायिक, राजनीतिक या अनैतिक उद्देश्य के लिए सनातन बोर्ड की संपत्ति का उपयोग नहीं किया जाएगा।

185. कार्यालयों का प्रबंधन (Management of Offices)

186. राष्ट्रीय मुख्यालय – संस्थापक अध्यक्ष के मार्गदर्शन में संचालित होगा।

187. प्रदेश मुख्यालय – प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्य संचालन समिति की देखरेख में रहेगा।

188. जिला कार्यालय – जिला समिति के निर्देशन में कार्य करेगा।

189. अंतरराष्ट्रीय कार्यालय – संस्थापक अध्यक्ष की निगरानी में, स्थानीय समितियों द्वारा प्रबंधित किए जाएंगे।

190. कार्यालयों के लिए भूमि एवं वित्तीय सहायता के स्रोत (Sources of Land & Financial Assistance)

सनातन बोर्ड को निम्नलिखित स्रोतों से निशुल्क (Free of Cost), लीज (Lease), अथवा रजिस्ट्री (Ownership Transfer) के माध्यम से भूमि प्राप्त हो सकती है:

(A) सरकारी सहायता एवं अनुदान (Government Support & Grants)

191. सरकारी भूमि का निशुल्क आवंटन (Free Government Land Allocation):

केंद्र एवं राज्य सरकारें धार्मिक, सामाजिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए सनातन बोर्ड को निशुल्क भूमि आवंटित कर सकती हैं।

इसके लिए सनातन बोर्ड को राजस्व विभाग, शहरी विकास प्राधिकरण, नगर निगम, ग्राम पंचायत एवं अन्य सरकारी निकायों से आवेदन करना होगा।

सनातन बोर्ड को यह भूमि 99 वर्षों की लीज (Lease) या स्थायी रजिस्ट्री (Permanent Ownership) के रूप में प्राप्त हो सकती है।

192. सरकारी योजनाओं के तहत अनुदान (Government Grants & Subsidies):

धार्मिक एवं समाजसेवी संगठनों को सहायता देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाएँ उपलब्ध हैं।

शिक्षा, आध्यात्मिकता, सामाजिक सेवा, संस्कृत शोध, वेद विद्यालय आदि के लिए वित्तीय सहायता सरकार से प्राप्त की जा सकती है।

 (B) व्यक्तिगत दान एवं सहयोग (Donations from Individuals & Philanthropists)

193. व्यक्तिगत दानदाता (Individual Donors):

श्रद्धालु, समाजसेवी, व्यापारी, उद्योगपति, किसान, नौकरीपेशा लोग सनातन बोर्ड को भूमि, भवन, या धनराशि दान कर सकते हैं।

सनातन बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि दानदाता की इच्छा के अनुसार उसकी संपत्ति केवल धार्मिक, शैक्षिक, एवं समाजसेवा कार्यों के लिए उपयोग हो।

दानदाता की सुरक्षा के लिए एक पंजीकृत दस्तावेज (Donation Agreement) तैयार किया जाएगा, जिसमें सभी नियम स्पष्ट होंगे।

**2. अनिवासी भारतीय (NRI) एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग:

विदेशों में बसे सनातन धर्म से जुड़े भारतीय एवं विदेशी श्रद्धालु सनातन बोर्ड को आर्थिक सहायता या अचल संपत्ति दान कर सकते हैं।

इसके लिए FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) पंजीकरण करवाना आवश्यक होगा।

(C) धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं का सहयोग (Support from Religious & Social Institutions)

194. मंदिर सनातन बोर्ड एवं मठों से भूमि दान (Land Donations from Temple Trusts & Monasteries):

विभिन्न मंदिरों एवं मठों के पास अपार भूमि संपत्ति उपलब्ध होती है, जिसे वे धार्मिक उद्देश्यों के लिए सनातन बोर्ड को दान कर सकते हैं।

सनातन बोर्ड संबंधित मंदिर ट्रस्टों से भूखंड के हस्तांतरण हेतु आधिकारिक प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा।

संपत्ति दान की प्रक्रिया को कानूनी रूप से पंजीकृत किया जाएगा ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो।

195. धार्मिक संगठनों एवं आश्रमों से सहयोग:

बड़े धार्मिक संगठनों एवं संत समाज से संपत्ति एवं वित्तीय सहयोग प्राप्त किया जा सकता है।

इस सहयोग से गुरुकुल, आश्रम, संस्कृत विद्यालय एवं अन्य धार्मिक केंद्र स्थापित किए जा सकते हैं।

(D) कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility - CSR)

196. उद्योगपतियों एवं कॉरपोरेट कंपनियों से सहयोग:

विभिन्न बड़ी कंपनियाँ CSR फंडिंग (Corporate Social Responsibility Funding) के तहत धार्मिक, शैक्षिक एवं सामाजिक कार्यों के लिए भूमि एवं धनराशि दान कर सकती हैं।

सनातन बोर्ड को कंपनियों से CSR प्रोजेक्ट्स हेतु आवेदन करना होगा।

इस फंड का उपयोग शैक्षणिक संस्थान, धार्मिक पर्यटन केंद्र, आध्यात्मिक शोध केंद्र आदि स्थापित करने में किया जा सकता है।

197. भूमि एवं धन प्राप्त करने की कानूनी प्रक्रिया (Legal Process for Acquiring Land & Funds)

(A) सरकारी भूमि के आवंटन की प्रक्रिया (Government Land Allocation Process)

198. सनातन बोर्ड को राज्य सरकार, नगर निगम, या ग्राम पंचायत से आवेदन करना होगा।

199. राजस्व विभाग द्वारा भूमि के उपयोग की स्वीकृति ली जाएगी।

200. 99 वर्षों की लीज (Lease) अथवा निशुल्क रजिस्ट्री (Free Ownership Transfer) के रूप में भूमि प्राप्त करने का प्रस्ताव दिया जाएगा।

201. एक आधिकारिक अनुबंध (MoU) तैयार किया जाएगा, जिसमें यह स्पष्ट होगा कि यह भूमि केवल धार्मिक एवं समाजसेवा कार्यों के लिए उपयोग होगी।

(B) व्यक्तिगत दान में भूमि या धन प्राप्त करने की प्रक्रिया (Legal Process for Accepting Donations)

202. दानदाता को एक "दान पत्र" (Gift Deed) पर हस्ताक्षर करना होगा।

203. इस दान पत्र को सरकारी रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत करवाया जाएगा।

204. दान की गई भूमि सनातन बोर्ड के नाम पर रजिस्टर्ड होगी, न कि किसी व्यक्तिगत व्यक्ति के नाम पर।

205. दानदाता को कर छूट (Tax Exemption) के लिए प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

(C) मंदिर सनातन बोर्ड या धार्मिक संगठनों से भूमि प्राप्त करने की प्रक्रिया

206. संस्थापक अध्यक्ष एवं संरक्षक मंडल द्वारा एक आधिकारिक प्रस्ताव संबंधित मंदिर सनातन बोर्ड या धार्मिक संगठन को भेजा जाएगा।

207. यदि मंदिर सनातन बोर्ड सहमत होता है, तो संपत्ति का हस्तांतरण कानूनी रूप से सनातन बोर्ड के नाम पर करवाया जाएगा।

208. संपत्ति के उपयोग के लिए एक अनुबंध तैयार किया जाएगा, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संपत्ति का उपयोग केवल धार्मिक एवं समाजसेवी कार्यों के लिए हो।

209. धन एवं भूमि के उपयोग के नियम (Utilization Rules for Funds & Land)

210. संपत्ति या धन का व्यक्तिगत उपयोग वर्जित होगा।

211. संपत्ति की बिक्री केवल मुख्य संरक्षक मंडल एवं संस्थापक अध्यक्ष की अनुमति से की जा सकेगी।

212. कोई भी संपत्ति लीज पर देने के लिए संरक्षक मंडल अथवा  अध्यक्ष की अनुमति आवश्यक होगी।

213. संपत्ति का उपयोग केवल धार्मिक, शैक्षिक, समाजसेवी एवं आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।

214. वित्तीय प्रबंधन एवं बैंक खातों का संचालन (Financial Management & Banking Operations)

215. बैंक खाते तीन हस्ताक्षरों से संचालित होंगे – संस्थापक अध्यक्ष, राष्ट्रीय वित्त प्रमुख एवं राष्ट्रीय महासचिव।

216. 5 लाख रुपये से अधिक की धनराशि के उपयोग के लिए संस्थापक अध्यक्ष की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य होगी।

217. सभी दान एवं आय का सार्वजनिक लेखा-जोखा रखा जाएगा।

पब्लिश: 16 Jul, 2025 अपडेट: 16 Jul, 2025
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