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सनातन बोर्ड

"संस्थापक अध्यक्ष का सर्वमान्य, सर्वोच्च एवं अंतिम अधिकार"

अपडेट: 16 Jul, 2025

संस्थापक अध्यक्ष "सनातन बोर्ड" के मूल स्तंभ एवं सर्वोच्च अधिकारधारी होंगे, जिनका निर्णय अंतिम, सर्वमान्य एवं अपरिवर्तनीय होगा, चाहे कोई भी परिस्थिति हो या कोई भी मतभेद उत्पन्न हो। सनातन बोर्ड की नीतियों, संपत्तियों, नियमों, कार्य संचालन एवं संरचना से संबंधित सभी निर्णयों में संस्थापक अध्यक्ष की सहमति अपरिहार्य एवं सर्वोपरि होगी, जिसे कोई भी समिति, व्यक्ति या संरक्षक चुनौती नहीं दे सकता।

इसके अतिरिक्त, संस्थापक अध्यक्ष के उत्तराधिकारी का निर्धारण स्वयं संस्थापक अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा और वही व्यक्ति उनके स्थान पर अगला संस्थापक अध्यक्ष पदभार ग्रहण करेगा। यदि संस्थापक अध्यक्ष द्वारा कोई वसीयत या लिखित निर्देश (Will or Written Mandate) छोड़कर जाएं, तो उत्तराधिकारी का चयन उसी के अनुसार होगा, और वह निर्णय अंतिम एवं सभी के लिए बाध्यकारी होगा। इस व्यवस्था को कोई भी व्यक्ति, समिति, सनातन बोर्ड या बाहरी हस्तक्षेप चुनौती नहीं दे सकता, और इसे पूर्ण निष्ठा के साथ स्वीकार करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य होगा।

"सनातन बोर्ड" की सदस्यता, पुजारियों के वेतन और मंदिरों व गुरुकुलों को सहयोग देने की प्रभावी योजना

"सनातन बोर्ड" का उद्देश्य सनातन धर्म को एकजुट करना, मंदिरों व गुरुकुलों को संरक्षण प्रदान करना, पुजारियों को वित्तीय सुरक्षा देना और धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा देना है। इसके लिए एक संगठित प्रणाली बनाई जाएगी जिससे मंदिर, सनातन बोर्ड, संस्था एवं सनातनी व्यक्ति स्वतः सदस्य बनने के लिए तैयार हो जाएं और इस बोर्ड से जुड़ने को लाभदायक समझें।

90. मंदिरों, ट्रस्टों, गुरुकुलों एवं व्यक्तियों को "सनातन बोर्ड" से जोड़ने के उपाय

(A) "सनातन बोर्ड" की सदस्यता को अनिवार्य/आकर्षक बनाने के लिए रणनीति

91. कानूनी एवं प्रशासनिक पहल

सरकार से मान्यता प्राप्त करने हेतु "सनातन बोर्ड" को एक राष्ट्रीय धार्मिक संगठन के रूप में पंजीकृत किया जाएगा।

मंदिरों, ट्रस्टों एवं गुरुकुलों को सरकार से कर-मुक्त (Tax Exempt) सुविधा तभी मिलेगी जब वे "सनातन बोर्ड" के सदस्य होंगे।

धार्मिक संस्थानों के लिए सरकारी अनुदान एवं अन्य वित्तीय सहायता केवल "सनातन बोर्ड" के पंजीकृत सदस्यों को मिलेगी।

92. आर्थिक लाभ एवं सुरक्षा

बोर्ड से जुड़े प्रत्येक मंदिर को वित्तीय सुरक्षा मिलेगी।

मंदिरों को सरकार और कॉर्पोरेट (CSR) अनुदानों में प्राथमिकता दी जाएगी।

मंदिरों की संपत्तियों को अवैध कब्जे से बचाने के लिए 'सनातन बोर्ड' कानूनी सहायता प्रदान करेगा।

93. सदस्यता प्रमाणपत्र एवं आधिकारिक पहचान

सभी पंजीकृत मंदिरों, ट्रस्टों एवं गुरुकुलों को "सनातन बोर्ड" का प्रमाणपत्र (Affiliation Certificate) दिया जाएगा।

सभी सदस्य संस्थानों को एक डिजिटल रजिस्ट्रेशन नंबर मिलेगा जिससे वे सरकारी योजनाओं और वित्तीय सहायता के लिए पात्र होंगे।

94. प्रचार एवं जन-जागरण अभियान

कुंभ मेले, धार्मिक आयोजनों, मंदिरों में 'सनातन बोर्ड' का प्रचार किया जाएगा।

सोशल मीडिया, वेबसाइट, एवं मोबाइल ऐप के माध्यम से 'सनातन बोर्ड' के लाभों को प्रचारित किया जाएगा।

संन्यासियों, अखाड़ों, महामंडलेश्वरों एवं धर्मगुरुओं की सहायता से प्रचार किया जाएगा।

95. मंदिरों के मुख्य पुजारियों के वेतन की योजना

(A) पात्रता एवं चयन प्रक्रिया

96. हर पंजीकृत मंदिर के मुख्य पुजारी को वेतन प्रदान किया जाएगा।

97. बड़े मंदिरों में सहायक पुजारियों के लिए भी वेतन की व्यवस्था होगी।

(B) वेतन निधि (Salary Fund) के स्रोत

98. "सनातन बोर्ड" का केंद्रीय कोष

99. CSR (Corporate Social Responsibility) फंडिंग

100. भक्तों द्वारा दिए गए दान (Voluntary Contributions)

101. सरकारी अनुदान एवं वित्तीय सहायता

102. बड़े मंदिरों की आय का एक निश्चित भाग (Revenue Sharing Model)

(C) वेतन की राशि एवं वितरण प्रक्रिया

103. छोटे मंदिरों के मुख्य पुजारी को ₹10,000 – ₹15,000 मासिक वेतन

104. मध्यम मंदिरों के मुख्य पुजारी को ₹20,000 – ₹30,000 मासिक वेतन

105. बड़े मंदिरों के मुख्य पुजारी को ₹40,000 – ₹50,000 मासिक वेतन

106. वेतन सीधे पुजारियों के बैंक खातों में डिजिटल ट्रांसफर किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।

107. गुरुकुलों एवं धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सहयोग राशि

(A) सहयोग प्राप्त करने के पात्र संस्थान

108. गुरुकुल एवं वेद विद्यालय

109. धर्मशालाएं एवं आश्रम

110. संस्कृत शिक्षण संस्थान एवं धार्मिक शोध केंद्र

111. अखाड़े एवं सनातन धर्म से जुड़े आध्यात्मिक केंद्र

(B) सहयोग राशि का स्रोत

112. "सनातन बोर्ड" का केंद्रीय कोष

113. CSR फंडिंग एवं निजी दानदाता

114. सरकारी अनुदान (State & Central Grants)

115. बड़े मंदिरों एवं ट्रस्टों से योगदान

(C) सहयोग राशि की राशि एवं वितरण प्रक्रिया

116. छोटे गुरुकुलों को ₹25,000 – ₹50,000 प्रति माह

117. मध्यम गुरुकुलों को ₹50,000 – ₹1,00,000 प्रति माह

118. बड़े गुरुकुलों को ₹1,00,000 – ₹5,00,000 प्रति माह

119. राशि सीधे संस्थान के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।

120. मंदिरों एवं गुरुकुलों की संपत्तियों के संरक्षण एवं प्रबंधन की योजना

(A) संपत्तियों की सुरक्षा एवं प्रबंधन

121. "सनातन बोर्ड" के अंतर्गत आने वाले सभी मंदिरों एवं गुरुकुलों की संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड बनाया जाएगा।

122. मंदिरों की जमीन, दान, चढ़ावा, एवं अन्य संपत्तियों का उपयोग सिर्फ धार्मिक एवं सनातनी उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।

123. कोई भी सरकारी हस्तक्षेप न हो, इसके लिए एक मजबूत कानूनी टीम नियुक्त की जाएगी।

(B) संपत्तियों की खरीद-बिक्री का नियम

124. कोई भी मंदिर या सनातन बोर्ड अपनी संपत्ति किसी गैर-सनातनी संस्था या व्यक्ति को नहीं बेच सकता।

125. यदि कोई संपत्ति बेची जानी हो, तो केवल 'सनातन बोर्ड' के अन्य सदस्य मंदिरों या ट्रस्टों को बेची जा सकती है।

126. किसी मंदिर या सनातन बोर्ड को आर्थिक संकट हो तो 'सनातन बोर्ड' उसकी मदद करेगा, ताकि संपत्ति को सुरक्षित रखा जा सके।

127. निष्कर्ष (Conclusion)

128. हर सनातनी व्यक्ति, मंदिर, सनातन बोर्ड एवं धार्मिक संस्थान को 'सनातन बोर्ड' का सदस्य बनाना प्राथमिक लक्ष्य होगा।

129. मंदिरों के मुख्य पुजारियों को निश्चित मासिक वेतन देने के लिए एक व्यवस्थित कोष बनाया जाएगा।

130. CSR फंडिंग, सरकारी अनुदान, एवं भक्तों की सहायता से मंदिरों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जाएगा।

131. मंदिरों एवं गुरुकुलों की संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप से बचाया जाएगा।

132. "सनातन बोर्ड" के माध्यम से धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे सनातन धर्म की एकता और मजबूती बनी रहे।

अगले चरण (Next Steps)

133. "सनातन बोर्ड" के कानूनी एवं प्रशासनिक ढांचे को अंतिम रूप देना।

134. भारत एवं विदेशों के मंदिरों, ट्रस्टों एवं गुरुकुलों को इस योजना से अवगत कराना।

135. वित्तीय संसाधनों (Funding) का प्रबंध करना।

136. सरकार एवं धार्मिक संस्थाओं से मान्यता प्राप्त करने के लिए कार्य करना।

पब्लिश: 16 Jul, 2025 अपडेट: 16 Jul, 2025
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